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गणेश व्रत कथा

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ganesh-aartiमाघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहते हैं. इस दिन तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है. यह व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं. इस दिन गणेश कथा सुनने अथवा पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है. व्रत करने वालों को इस दिन यह कथा अवश्य पढ़नी चाहिए. तभी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है.


पौराणिक गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे. तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए. उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे.


देवताओं की बात सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय व गणेशजी से पूछा कि तुममें से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है. तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया. इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा.


भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए. परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा.


तभी उन्हें एक उपाय सूझा. गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए. परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे. तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा.


तब गणेश ने कहा – ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं.’


यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी. इस प्रकार भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे.


इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी. पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी. चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी.
Ganesh Vrat Katha in Hindi

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