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अब यह तो आपको मालूम चल ही गया होगा की फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) हाल ही में भारत आये थे। कयास लगे थे कि फेसबुक (Facebook) का भारतियों में बेतहाशा लोकप्रिय आर्कुट से इसी धरती पर दो दो हाथ करने का इरादा बना है। गप्पें छापने वाली वेबसाईट (website) टेकगॉस ने उनकी तस्वीर लाने वाले को दस हज़ार ईनाम देने की घोषणा कर डाली। पर सारे कयासों के बीच असलियत यह निकली कि मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) दरअसल भारत आये थे अपने आध्यात्मिक गुरु नीम करोली बाबा से आशीष मांगने।
इन बाबा का मैंने तो कभी नाम न सुना था, वैसे भी अपन बाबाओं से दूर ही रहते हैं, पर ये कोई साधारण बाबा नहीं हैं। वैलीवैग, जिसने इस खबर का खुलासा किया का कहना है कि एप्पल (Apple) के स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) और गूगल (google ) के लैरी पेज (Larry Page) तक बाबा के दर्शन कर चुके हैं। और बाबा इस बाजार के प्रति काफी “सजग” हैं। ज़ाहिर है बाबा के “दूरसंपर्क” के सारे मौजूद हैं।
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बाबा भारत में तो बाबा नीब करोड़ी के नाम से जाने जाते हैं पर विदेशी भगत उन्हें नीम करोली पुकारने लगे। इन सरल, सच्चे, सांसारिक मोहमाया से मुक्त बाबा की तीन वेबसाईटें (websites) तो इस नाचीज ने ही खोज निकालीं जो neemkarolibaba.com, neebkaroribaba.com और neebkaroribaba.org पर हैं। कहना न होगा कि इनकी “देखभाल” समितियाँ और ट्रस्ट करती हैं।
तो मार्क अपने बाबा से क्या माँगने आये थे? अगर हाल में ट्विटर (Twitter) की बढ़ते उपभोक्ताओं के बोझ से हुई दुर्दशा का भान होता तो शायद वे फेसबुक (Facebook) की अच्छी सेहत और स्केलेबिलीटी सामर्थ्य मांगते पर अभी तो शायद आर्कुट पर विजय ही मांगी होगी। बाबा के प्रख्यात भगतों में शामिल होने का तमगा मिला सो अलग।
बस एक सवाल अपन राम के मन में चुभ रहा हैः जब लैरी और मार्क दोनों ही बाबा के अनन्य भक्त हैं तो बाबा ने आशीर्वाद का पलड़ा किस तरफ झुकाया होगा, ऑर्कुट (Orkut) या फेससबुक (Facebook) । इसका जवाब तो शायद चंदे की रसीद देख कर ही पता लगे।
साभार: देबाशीष चक्रवर्ती
(देबाशीष चक्रवर्ती हिन्दी के शुरुआती चिट्ठाकारों में से एक हैं.)
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